ALL INDIA POSTAL EXTRA
DEPARTMENTAL EMPLOYEES UNION
Central Head Quarter)
First Floor, Post
Office Building ,
Padamnagar, Delhi
110007
President: D.N. Giri
General Secretary S.S.
Mahadevaiah
GDS/CHQ/1/1
/2012 Dated: 25-10-2012
To:
1. All
Circle/Divisional/Branch Secretaries
2. CWC
members,
साथियो,
देश भर के ढाई लाख साहसी ग्रामीण डाक सेवकों को सलाम जिन्होंने
सात दिन की अपनी ऐतिहासिक हड़ताल से प्रबंधन के दलालों के झूठे और निराधार दुष्प्रचार
को धता बता दिया है। हड़ताल को कमज़ोर करने के लिए हर किस्म की अफ़वाह फैलाई गई।
लेकिन ग्रामीण डाक सेवकों की इस्पाती एकता ने उन हड़ताल तोड़ने वालों की गंदी
साजि़शों का मुंहतोड़ जवाब दिया जो इस घिनौने खेल में लंबे समय से लगे हुए हैं और
जिन्होंने एआइपीईडीईयू को असंवैधानिक/अवैध तरीके से पोस्टल फेडरेशन से बाहर फेंक
दिया था। देश भर में जीडीएस और डाक विभाग के अन्य कर्मियों ने स्वत: स्फूर्त
आंदोलन किया तथा जीडीएस नेताओं के नकारात्मक रवैये के बावजूद दूसरे कर्मियों ने
जीडीएस आंदोलन को अपना समर्थन दिया। जीडीएस और डाक विभाग के दूसरे
कर्मचारियों से मिले उन्हें समर्थन का ही नतीजा है कि इस संघर्ष से वे विजयी होकर
निकले हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 1974 में कहा था ग्रामीण डाक सेवकों
को भारत सरकार के अंतर्गत नागरिक पदों पर होने का अधिकार है। केंद्रीय प्रशासनिक
पंचाट की पंजाब और तमिलनाडु बेंच ने एक कदम आगे जाकर कहा कि ग्रामीण डाक सेवक न
सिर्फ नागरिक पदों के हकदार हैं बल्कि वे सरकारी कर्मचारी भी हैं। इन तीन फैसलों
के बावजूद वित्त मंत्रालय के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है।
हम हड़ताल पर जाने को इसलिए बाध्य
हुए क्योंकि प्रशासन ग्रामीण डाक सेवकों से हुए इस भेदभाव और दूसरे कर्मचारियों
के साथ बोनस सीलिंग में हो रहे भेदभाव को दूर करने को तैयार नहीं था तथा संबद्ध
डाक संगठनों का रवैया भी असहयोगात्मक था। इन्हीं मसलों को हल करने के लिए डाक
विभाग को बातचीत के लिए आगे आना पड़ा लेकिन फैसला उसके नहीं वित्त् मंत्रालय के
हाथ में था। वार्ता का तीसरा दौर 22 अक्टूबर 2012 को हुआ और एक निपटारे पर सहमति
बन गई।
वेतन सुरक्षा जैसी कुछ अहम
मांगें संतोषजनक तरीके से मान ली गई हैं। जहां तक बोनस की बात है, तो हमें बताया
गया है कि अंतरविभागीय परामर्श जारी है। हमें बताया गया है कि यह मसला वित्त्
मंत्रालय को उसकी मंजूरी के लिए भेजा गया है। हमें उम्मीद है कि उसे मान लिया
जाएगा क्योंकि हमारी मांगें न्यायपूर्ण हैं। स्वास्थ्य योजना-
आरएसबीवाई की जल्द उम्मीद। हड़ताल वापस बुलाने का फैसला सही था क्योंकि
डाक विभाग को वित्त् मंत्रालय की मंजूरी लेने का समय दिया जाना जरूरी था।
हम गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे,
ऊर्जा और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री वीरप्पा मोइली, श्रम मंत्री श्री
मल्लिकार्जुन खड़गे, संचार राज्यमंत्री श्री सचिन पाइलट, उद्योग राज्य मंत्री
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, माननीय सांसद श्री ऑस्कर फर्नांडीज़, सांसद राहुल
गांधी, और हमारे संघर्षों में हस्तक्षेप करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करते
हैं। हम एटक और उसके महासचिव सांसद गुरदास
दासगुप्ता के भी आभारी हैं जिन्होंने हमारी लगातार मदद की। कामरेड गुप्ता ने
हमारी मांगों को मंत्रियों, सचिव और विभाग के सामने जोरदार तरीके से रखा और कई बार
उन्हें वेतन, बोनस तथा अन्य मांगों के मामले में हो रहे भेदभाव के बारे में जोर
देकर बताया। उन्होंने इस संबंध में संबद्ध मंत्री और प्रधानमंत्री तक को कई पत्र
लिखे।
ग्रामीण डाक सेवकों ने एक हफ्ते तक काफी साहस से अपनी लड़ाई
लड़ी। बाकी संगठनों की तरह वे संघर्ष से भाग नहीं खड़े हुए। अगर जरूरत पड़ी तो
ग्रामीण डाक सेवक एक बार फिर मैदान में उतरने को तैयार हैं।
इंकलाबी अभिवादन
आपका