ALL INDIA POSTAL
EXTRA DEPARTMENTAL EMPLOYEES UNION
(Central Head Quarter)
First Floor, Post
Office Building ,
Padamnagar, Delhi
110007
President: D.N. Giri
General Secretary S.S.
Mahadevaiah
GDS/CHQ/1/1
/2012
Dated: 23-10-2012
To:
1. All
Circle/Divisional/Branch Secretaries
2. CWC
members,
साथियो,
क्रांतिकारी अभिवादन
और जीडीएस के उन सभी साथियों को दिल से बधाई जिन्होंने सात दिनों तक चली बेमियादी
हड़ताल में दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ हिस्सा लिया। हम उन सभी साथियों का भी
ईमानदारी से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने इस सरोकार को अपना समर्थन दिया।
एआइपीईडीईयू की
केंद्रीय कार्यसमिति और अखिल भारतीय कनवेंशन के सामूहिक निर्णय के मुताबिक
बेमियादी हड़ताल का नोटिस जारी किया गया थाा इसके बाद देश भर के जीडीएस से इसे
भारी समर्थन हासिल हुआ। केरल में कोई हड़ताल नहीं हुई जबकि पश्चिम बंगाल में यह
आंशिक तौर पर हुई, जो कि संघर्षों के इतिहास में पहली बार था। एआइपीईडीईयू के जनरल
सेक्रेटरी कामरेड एसएस महादेवैया समेत किसी भी फेडरेशन ने, यहां तक कि कनफेडरेशन
ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट ने भी इसे समर्थन नहीं दिया जहां कामरेड महादेवैया पदाधिकारी
हैं। हड़ताल के अंत तक नैतिक समर्थन भी नहीं मिला। इसके बावजूद जीडीएस के
कर्मचारियों ने अभूतपूर्व साहस दिखाते हुए हमारी कल्पना से कहीं आगे जाकर
बेमियादी हड़ताल को सफल बनाया। तकरीबन सभी सर्किलों में यह हड़ताल पूरी तरह हुई और
कई डिवीज़नों में यह आंशिक तौर पर हुई। संघर्ष को कामयाब बनाने में जिन्होंने भी
समय रहते कार्रवाई की, उन्हें हम सलाम करते हैं। हमें प्रखंडवार इसमें शामिल हुए
लोगों की पूरी सूची जानने की जरूरत है ताकि इसे हम अपनी अगली ग्रामीण पोस्ट में
निम्न प्रारूप में प्रकाशित कर सकें।
प्रखंड का नाम :
प्रखंड में कुल जीडीएस : हड़ताल में भाग लेने वाले जीडीएस :
प्रखंडवार और
सर्किलवार कुल दर:
हड़ताल के दौरान:
हड़ताल के घोषणापत्र
पर हमारी चार दौर की वार्ता हुई। इसमें विभाग की ओर से निदेशक(एसआर),
डीडीजी(ईएसटी), सदस्य(पी) और विभाग के सचिव ने हिस्सा लिया जबकि यूनियन की ओर से
कामरेड डीएन गिरि, कामरेड एसएस महादेवैया, कामरेड बीवी राव, कामरेड राजू दिवाकर,
कामरेड लकविंदर सिंह, कामरेड रामबीर सिंह, कामरेड राम सिंह, कामरेड एसएस मंजुनाथ
ने हिस्सा लिया।
15 अक्टूबर 2012 को
वार्ता के पहले दौर में बीपीएम के टीआरसीए के संरक्षण के काग़ज़ात हमें सौंपे गए।
हमने विभाग की सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए उसे धन्यवाद दिया।
हड़ताल के तीसरे दिन
विभाग ने 15 अक्टूबर के आदेश के आधार पर हमसे हड़ताल खत्म करने को कहा। हड़ताल
के घोषणापत्र पर कोई आम सहमति नहीं बनी थी इसलिए हमने इस बात पर जोर दिया कि मांग
संख्या 1 यानी जीडीएस कर्मचारियों के विभागीकरण की मांग की जांच के लिए कम से कम
एक कमेटी बना दी जाए। हमने जीडीएस से आठ घंटे काम कराए जाने संबंधी कागजात और
आरटीआई से मिली सूचना विभाग को दे दी है। इसकी जांच हो रही है। हालांकि इस मसले को
अगले वेतन आयोग में उठाने का सुझाव दिया गया है। कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को
लेकर एक कमेटी बनाने का हमारा सुझाव नहीं माना गया। चूंकि वित्त विभाग पिछले चार
साल से बोनस की मांग को ठुकराए जा रहा है, इसलिए हमने जोर दिया कि इसे तुरंत हल
किया जाना चाहिए। लिहाज़ा हमारे पास हड़ताल को जारी रखने के अलावा कोई और विकल्प
नहीं था।
इसके बाद हड़ताल को
और तेज़ किया गया और इस क्रम में हमने कई सांसदों, मंत्रियों व यूनियन के नेताओं
की भी मदद मांगी जिससे विभाग और वित्त मंत्रालय पर दबाव कायम किया जा सके।
दिल्ली मुख्यालय
पर अच्छी-खासी संख्या में आस-पड़ोस के सर्किलों से जीडीएस पहुंचे और इस महीने की
18 और 19 तारीख को उन्होंने पहले डाक भवन और बाद में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन
किया। चूंकि यह एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन था, इसलिए हमने उन्हें हिंसक हरकतें करने
की छूट नहीं दी।
कुछ
डिवीज़नों/सर्किलों में स्थानीय अधिकारियों ने हड़ताली जीडीएस कर्मियों को नोटिस
थमाने शुरू कर दिए। हड़ताल के दौरान संघर्ष को कमज़ोर करने के उद्देश्य से कुछ
भ्रामक गतिविधियां भी देखने में आईं। लेकिन जीडीएस कर्मी अपने पक्ष पर मजबूत बने
रहे और अंत तक वे संघर्ष को ले गए।
हड़ताल ने जब सातवें
दिन में प्रवेश किया, तो हमने संचार मंत्री से संचार भवन में मिलने की कोशिश की लेकिन
हमारी कोशिश बेकार गई। सांसदों, गृह मंत्रालय, श्रम मंत्रालय आदि से दबाव डलवाने
की हमारी कोशिशें हालांकि जारी रहीं। हड़ताल की परिस्थितियों और बोनस, जीडीएस को
नियमित किए जाने आदि मांगों की समीक्षा के बाद यह तय किया गया कि विभाग के साथ एक
समझौते पर राज़ी हो जाया जाय। इसी उद्देश्य से विभाग के अधिकारियों के साथ एक और
बैठक की गई और इस बार वे काफी खुले दिमाग से बात करते दिखे। हमने आखिरकार हड़ताल
को खत्म करने का फैसला लिया।
हड़ताल पर हमारी
मांगें:
1. जीडीएस का
विभागीकरण- दर्जा दिए जाने की मांग: नहीं मानी गई, कहा गया कि इसे अगले वेतन आयोग
के समक्ष उठाया जाए। हमारी पहले से ही सातवें वेतन आयोग के लिए कुछ मांगें हैं और
हम अपने स्तर पर उसकी समीक्षा कर रहे हैं। हम दूसरे तरीकों पर भी विचार कर रहे
हैं।
2. बोनस सीलिंग
3500/- रुपए किया जाना: वित्त मंत्रालय से जल्द मंजूरी का इंतजार है।
3. स्वास्थ्य
योजना- आरएसबीवाई की जल्द उम्मीद।
4. पदों को खत्म
करने और उन्हें भरे जाने की मांग- विभाग जल्द ही निर्देश जारी करेगा।
5. अनुकम्पा के
आधार पर नियुक्ति- यूनियन से नोट मांगा गया है जिसकी समीक्षा की जाएगी।
6. कैश हैंडलिंग,
वेतन सुरक्षा, कैश कनवेयंस आदि पर वीपी सिंह की कमेटी इत्यादि- बीपीएम के लिए
सुरक्षा पर आदेश जारी और दूसरा आदेश विचाराधीन, अन्य मसले भी विचाराधीन।
7. नए नियमों की
बहाली- पहले से ही प्रक्रिया में, अब तक मंजूर नहीं।
8. अस्थायी श्रमिक-
विचाराधीन।
हम एक बार फिर
जीडीएस कर्मियों, उनके संगठनकर्ताओं और उनके समर्थकों का धन्यवाद देना चाहेंगे
जिन्होंने प्रभावी संघर्ष के लिए इस आयोजन को कामयाब बनाया, जो कि प्रत्यक्ष
कार्रवाई का निर्णायक तरीका है। यह संघर्ष जीडीएस टीयू आंदोलन में मील का पत्थर
है। हम अपनी मांगों के साकार होने तक इसी कटिबद्धता और संकल्प के साथ आगे बढ़ते
रहेंगे।
मजदूर एकता अमर रहे,
एआइपीईडीईयू जि़ंदाबाद, जीडीएस एकता जि़ंदाबाद
क्रांतिकारी अभिवादन
के साथ
आपका साथी